
देश और प्रदेशों ने जिनको नेतृत्व के लिए चुना वो सभी लोग सामने से नेतृत्व कर रहे हैं और ये बहुत ही सुखद है। सरकारी अमला जो हमेशा ही गलत व नकारा दिखाया और बताया जाता रहा है आज जान की परवाह किए बिना देश को सुरक्षित करने में लगा है। सबसे बदनाम पुलिस विभाग ने वो सब कुछ किया है जिससे सामान्य व्यक्ति का जीवन सकारात्मक एवं सुगम हो सके। यह उस हर विभाग के लिए सत्य है जो इस आपदा में लोगों के जीवन को सुगम बनाने में लगा है। क्या ये प्रयास सराहनीय नहीं हैं? क्या आपदा के इस समय में ये एकजुटता आत्मबल को बढाने के लिए महत्वपूर्ण नहीं है?
देश ने जिस व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रुप में चुना है यदि वो सामने से खडा होकर नेतृत्व कर एकजुटता दिखाना चाहता है तो इसे उचित मानने में कैसे कोई समस्या हो सकती है/ आखिर ये भी तो नेतृत्व का ही दायित्व है!
राजीव उपाध्याय
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