पहला - 'तुम्हें कितना मिलेगा?'
दूसरा - 'तीन सौ।'
पहला - 'नया है क्या?'
दूसरा - 'हाँ। तुम्हें कितना मिलेगा?'
पहला - 'पाँच सौ।'
दूसरा -'ऐं! पाँच सौ?'
पहला -'हैरान क्यों हो रहा है? कुछ तो सिर्फ खाने पर आए हैं।'
दूसरा - 'पर ऐसा क्यों?'
पहला - 'नया है ना; नहीं समझोगे।'
दूसरा - 'बताओ तो सही। सब समझ जाऊँगा।'
पहला - 'देख भाई! जीवन बाजार है और बाजार में हर चीज की कीमत है परन्तु कौन कितना कीमत देगा और किसे कितना मिलेगा व्यक्ति पर निर्भर करता है। मतलब मूँह देखकर रेट बदलता है।'
दूसरा - 'तुम तो पूरा भाषण ही देने लगे।'
पहला - 'कहा था ना कि नहीं समझ आएगा! ये रैली का खेल है।'
दूसरा - 'छोड़ ये सब। ये बता, रेट कैसे बढ़ेगा?'
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