ट्रेड डेफिसिट व पूँजी पलायन का दोहरा दबाव और भारतीय रूपया

Trade Deficit India
लगभग सभी तरह के आर्थिक व वित्तीय संकेतकों व सूचकाँकों के आधार पर कहा जा सकता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था शीघ्र ही मंदी के चपेट में आ जाएगी। हालाँकि अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आनेवाली ये मंदी कितने समय तक बनी रहेगी व इसका समग्र असर क्या होगा? किन्तु वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स इस संभावित मंदी के प्रति प्रतिक्रिया करते हुए अपने हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना प्रारम्भ कर चूके हैं।

विदित हो कि किसी भी संभावित नकारात्मक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में सबसे पहले प्रतिक्रिया करने वाले स्टेकहोल्डर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक होते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किसी भी अर्थव्यवस्था में अपना पैसा तभी तक लगाए रखते हैं जब उनका हित व निवेश सुरक्षित रहता है। उसके लिए राष्ट्रीयता जैसी किसी भावना का कोई तात्पर्य नहीं होता है। जैसे ही किसी अर्थव्यवस्था का आर्थिक परिदृश्य उनकी अपेक्षाओं के विपरीत जाने लगता है, वे अपना पैसा कम सुरक्षित बाजार से निकालकर, अधिक सुरक्षित बाजार में निवेश करना प्रारम्भ कर देते हैं।

आज भारतीय अर्थव्यवस्था व सिक्यूरिटी बाजार कुछ महीने पहले की तुलना में कम आकर्षक हैं व भारतीय अर्थव्यवस्था में रिस्क अमेरीकी अर्थव्यवस्था के तुलना में अधिक है। साथ ही अमेरीका में ब्याज दर लगातार बढ़ रहे हैं व अगले कुछ महीनों तक लगातार बढ़ते रहने की संभावना बनी हुई। इस तरह आने वाले दिनों में अमेरीकी सरकार की परिसम्पतियाँ पहले की तुलना में अधिक आकर्षक बन जाएंगी। इस कारण इस बात की पूरी संभावना है कि पोर्टफोलियो निवेशक अगले कई महीनों तक भारतीय बाजार से अपना निवेश निकालकर अमेरीकी अर्थव्यवस्था में लगाते रहेंगे जिस कारण भारतीय रूपए पर दबाव लगातार बना रहेगा।

भारतीय रूपए पर अभी दोहरा दबाव पड़ रहा है। अमेरीकी डॉलर की तुलना में भारतीय रूपए के गिरते मूल्य के कारण इम्पोर्ट बिल लगातार बढ़ रहा है जो अंततः महँगाई को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर रहा है तथा साथ ही बढ़ता ट्रेड डेफिसिट भी भारतीय रूपए पर नकारात्मक असर डाल रहा है। इस तरह ट्रेड डेफिसिट व पूँजी पलायन, ये दोनों मिलकर भारतीय रूपए पर महीनों तक दबाव में बनाए रखेंगे। किन्तु यदि तेल की कीमत $90 से नीचे चला जाता है तो भारतीय रूपए में ना सिर्फ गिरावट रूक जाएगी बल्कि अमेरिकी डॉलर का एक्सचेंज रेट 77-78 रूपए के रेंज में शीघ्र ही आ जाएगा। अभी तेल कीमत $97.57 प्रति बैरेल है। उक्रेन-रूस के शुरू होने तुरंत बाद हैं मार्च में तेल की कीमत $123.7 प्रति बैरेल हो गई थी।
WTI Crude Oil Price

विदित हो कि यूरोप की मुद्रा यूरो, ब्रिटिश पॉउंड, जापानी येन, रशियन रूबल, ब्राजीलियन रीयल तथा सॉउथ अफ्रीकन रैंड का मूल्य पिछले एक महीने में भारतीय रुपए की तुलना में नेट गिरावट आई है। भारतीय रुपए का मूल्य में सिर्फ अमेरीकी डॉलर व चाइनीज युआन की तुलना में गिरावट आई है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था किसी विशेष समस्या का सामना नहीं कर रही है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रही घटनाओं से प्रभावित है। अतः किसी का ये सोचना कि स्थिति इतनी चिन्तनीय हो गई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की श्रीलंका की स्थिति में चली जाएगी, अनुचित होगा।

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