डोनाल्ड ट्रम्प पर हमला

कल अमेरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वो बाल-बाल बच गए। यह उनके सुरक्षाकर्मियों के सतर्कता और उनके भाग्य के कारण संभव हो सका और अमेरीका अपने इतिहास में गलत व खूनी अध्याय लिखते-लिखते बच गया।

जो हुआ उसकी भर्त्सना हो रही है जो ठीक भी है। लेकिन प्रश्न तो उठता ही है कि क्या अमेरीका आन्तरिक राजनैतिक वातावरण इतना खराब हो चुका है कि एक बीस बर्षीय युवा के मन में डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति इतना विष भर गया है या फिर भर दिया गया है कि एक आम युवा एक पूर्व राष्ट्रपति पर चुनावों से पहले जानलेवा हमला कर रहा है? क्या अमेरिका की राजनीति का स्तर इतना गिर चुका है कि आमचुनावों के पहले राष्ट्रपति पद के मुख्य दावेदार और वर्तमात राष्ट्रपति के मुख्य प्रतिद्वन्दी पर जानलेवा हमला हो रहा हैं?

एक वर्तमान राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री के नीतियों के प्रति युवाओं या आमजन के मन में असंतोष होना एक सामान्य बात है। चाहें नीतियाँ कितनी ही सफल या असफल हों वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान के प्रति विभिन्न कारणों से एक वर्ग के मन असंतोष होता ही है। किन्तु एक पूर्व राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री के प्रति असंतोष का भाव कहीं से भी सामान्य नहीं लग रहा है। उससे भी अधिक विस्मयकारी है चुनावों के समय डोनाल्ड ट्रम्प पर हमला! दुनिया के किसी भी व्यक्ति के लिए यह घटना राजनैतिक प्रतिद्वन्दिता से प्रेरित लग रही है जिसमें किसी समझदार और शातिर व्यक्ति के द्वारा एक युवा को इस तरह के कार्य के लिए प्ररित किया गया हो!

बाइडेन प्रशासन इस घटना कि चाहें जितनी भर्त्सना कर ले लेकिन ये घटना बाइडेन प्रशासन के असफलता को दर्शाता है कि यदि बाइडेन प्रशासन एक पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है तो सामान्य लोगों के प्रति कैसे संवेदनशील हो सकता है? यह घटना बाइडेन के चुनाव प्रचार व भाषणों सम्बन्धित पिछली घटनाओं के साथ मिलकर बाइडेन के राष्ट्रपति पद की दावेदारी को और कमजोर करता है जो सम्भवतः उनकी पार्टी को राष्ट्रपति पद के लिए बाइडेन के स्थान पर किसी अन्य को सामने लाने के लिए सोचने के लिए प्ररित कर सकती है और यह स्थिति किसी भी रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के हित में नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प के लिए किसी और की तुलना में बाइडेन को हराना आसान है। तो क्या इस घटना के लिए बाइडेन का कोई आन्तरिक प्रतिद्वन्दी उत्तरदायी है?

खैर! यह अमेरिका का आन्तरिक मामला है। एक भारतीय होने के नाते मुझे इस विषय में बहुत बोलने का अधिकार तो नहीं है लेकिन यदि ऐसी ही घटना किसी विकासशील देश या फिर भारत में हुई होती तो अमेरिका के अनुसार ऐसी ही घटना को उस देश में लोकतन्त्र की समाप्ति की घोषणा की तरह प्रस्तुत किया जाता और अमेरिका सम्भवतः अपनी सेनाओं को उस देश पर हमला करने लिए तैयार भी कर रहा होता!

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