तुम जिन रिसालों के जानिब
दुनिया बदलना चाहते हो
तुम जानते नहीं शायद
कि लोग उनको अब पढते नहीं।
खबर तुमको नहीं ये भी शायद अब
कि शब्दों के मायने जो तुमने सीखा था कभी
वक्त की सडक़ पर घिसकर
मानी उनका अब कुछ और ही है हो गया!
दुनिया बदलना चाहते हो
तुम जानते नहीं शायद
कि लोग उनको अब पढते नहीं।
खबर तुमको नहीं ये भी शायद अब
कि शब्दों के मायने जो तुमने सीखा था कभी
वक्त की सडक़ पर घिसकर
मानी उनका अब कुछ और ही है हो गया!